Saturday, 30 December 2017

नैसर्गिक खेती - कविता

*नेचुरल फार्मिंग है वक्त की जरूरत।*
*अभी नहीं समझोगे तो होगी मुसीबत ॥*

*अब तक जो हमने किया वो थी अनजाने में की भूल ।*
*सब कुछ समझ कर भी जहर बांटोगे तो सजा मिलेगी भरपूर ॥*

*इसी तरह से जो जीव जल-जंगल-जमीन  को लुटाते जाओगे ।*
*आने वाली मुसीबतों को आधुनिक तकनीक से नहीं संभाल पाओगे ॥*

*आधुनिक विज्ञान को प्रकृति संवारने में ना लगाओगे।*
*भविष्य में तुम मिट कर रहे जाओगे ॥*

*क्या पढ़ लिख कर तू भी विज्ञान को प्रकृति के विनाश में लगाएगा ।*
*आने वाले पैसों से क्या साफ हवा-पानी खरीद पायेगा ॥*

*माना कि यह तेरे अकेले बस की बात नहीं।*
*प्रकृति के चाहने वालों से जुड़ जा फिर विनाशकारियों की कोई औकात नहीं ॥*

*प्रकृति को मिटाकर तुम क्या अपने बच्चों का हित कर पाओगे ।*
*क्या दौलत से तुम  स्वस्थ जीवन जंगल जमीन खरीद पाओगे ॥*

   🌱  #चलानैसर्गिकशेतीकडे  🌱

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